#एक_एमबीबीएस_छात्र_और_उसके_परिवार_का_संघर्ष
फरड़ोद का एक लड़का जो पढाई में होशियार होने के कारण माता-पिता ने अपने बेटे को एक डाॅक्टर बनाने का सपना देखा। छात्र रिछपाल फरड़ौदा के 12वीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद एजेन्ट के ज़रिये अपने बेटे को MBBS करने के लिए विदेश भेजा। 2007 में Tbilisi State Medical University जाॅर्जिया में एडमिशन लिया। रिछपाल ने मई 2014 MBBS की पढाई पूरी की। जब एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया गया उस समय रिछपाल और उनके माता-पिता को MBBS की जरूरी गाइडलाइन्स का पता नहीं था इसका फायदा एजेंट नें उठाया।
पैसे के लिए उसने एक छात्र व उसके माता-पिता को अंधरे में रखकर उनके सपनों व भविष्य को अंधकार में धकेल दिया।
MBBS करने के लिए एडमिशन के समय छात्र की उम्र 17वर्ष होनी चाहिए। जबकि रिछपाल के एडमिशन के समय उसकी उम्र मात्र 15 वर्ष थी। एडमिशन के समय कम उम्र(अंडर ऐज) होने के उनके कारण MBBS डिग्री की मान्यता को मंजूरी नहीं दी गई और एलिजिबल सर्टिफिकेट (योग्यता प्रमाण-पत्र) देने से मना कर दिया गया।
इसके कारण वह विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE- Foreign Medical Graduate Examination) नही दे सकता था। इसका मतलब उसकी MBBS डिग्री कोरे कागज की तरह हो गई थी। इसके लिए 2015 में रिछपाल ने वकील से कानूनी सलाह लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की ताकि इस समस्या से निजात मिल सके। मामला कोर्ट में चल ही रहा था कि इस बीच 2017 में उनके वकील की मौत हो गई। उनके लिए मामला और भी पैंचिदा हो गया।
दिसम्बर 2017 में रिछपाल की शादी हो गई अब की घर की जिम्मेदारियां अलग से। और 2018 आते आते उनकी याचिका खारिज (केस हार गये) हो गई। रिछपाल के साथ उसके माता-पिता को गहरा धक्का लगा की अपने जीवन की पूरी पूँजी बेटे की पढ़ाई पर लगा दी और पढाई के लिए लोगों से लाखों का कर्जा ले रखा था। आप सोचिए उस परिवार की क्या मनोदशा होगी। रिछपाल ने हमें बताया कि उस समय ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई कि परिवार आर्थिक एवं मानसिक तौर पर असंतुलित हो गया। मैं स्वयं अपने आप से गुस्सा होने लगा कि मेरी वजह से मेरे परिवार की यह स्थिति हो गई लेकिन असल में वह मेरी वजह नहीं थी उस एजेंट की पैसों की लालसा ने मेरी और मेरे परिवार की ऐसी हालात कर दी।
रिछपाल ने हमें बताया की एक समय तो सुसाइड तक करने की विचार कर लिया। मै एकदम हार गया था कि आज मेरे पास योग्यता होते हुए भी मैं बेकार पड़ा हूँ!
लेकिन हमनें फिर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका (रिअपील) दाखिल की। आखिर उस संघर्ष की जीत हुई 18 अक्टूबर 2019 को कोर्ट ने फैसला हमारे पक्ष में सुनाया।
मामला पक्ष में आने के बाद सारे दस्तावेज़ों में बदलाव किया गया। उस समय परिवार में एक खुशी का माहौल बना लेकिन वह छात्र जो अपनी पढाई से कोसों दूर चला गया उसका मन और दिमाग सोच रहा था कि मैने तो किताबों की और देखे हुए 6 साल हो गया। मै अपने भीतर ही भीतर सोंच रहा था कि मेरा पढाई का स्तर तो एकदम शून्य है।
इस बीच उन्होंने दिसम्बर 2017 व जून 2018 में FMGE परीक्षा दी थी लेकिन उनके पास एलिजिबल सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण परिणाम को रोक दिया गया था।
वापस अगस्त 2020 में विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) दी लेकिन जरूरी 150अंको के मुकाबले मात्र 78 अंक ही प्राप्त हुए। 04 दिसम्बर 2020 को परीक्षा दी उसमें उनको 77 अंक मिलें रिछपाल ने हमें बताया की इस परीक्षा के 300 प्रश्नों में से मुझे 3 प्रश्नों के उतर ही क्लियर तौर पर आ रहे थे।
हमें बताते हुए कहा कि मेरे 7 सालों की उस मेरी प्रताड़ना के कारण मेरा और किताबों के बीच इतना फासला हो गया कि आप विचार कीजिए जब मैं दिसम्बर 2020 को परीक्षा केन्द्र में बैठा तो मेरे सामने पड़े उस पेपर को देखकर अचंभित रहे गया कि मुझे 300 में से 3 सवालों के जवाब आते है ।
कितना फासला हो गया आप सोचिए जरा रिछपाल का अपनी पढाई से। इसके बाद उस छात्र ने पूरी तरह से उम्मीद और आशा छोड़ दी कि अब मेरा सलेक्शन होगा।
लेकिन अब भी एक उम्मीद जिंदा थी वो थी "माँ" !
रिछपाल की "माँ" ने उसे अपने विश्वास के साथ उम्मीद और हौसला दिया।
"कि बेटा तू पढ़ कोचिंग कर हमें अपनी खेती-बाड़ी भी बेचनी पड़े तो बेचेंगे लेकिन तुझे परिवार का सपना पूरा करना है डाॅक्टर बनकर।
20 फरवरी 2021 को एक उस छात्र के जीवन में नये अध्याय की शुरूआत हुई। कोचिंग करने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हुआ। डाॅ . आशिष सर द्वारा संचालित NLC ( Next learning Centre) गौतम नगर दिल्ली की इस कोचिंग सेन्टर में दाखिला लिया और वहीं किसी छात्रावास में रहने लगा।
जब कोचिंग करने के लिए तब तक उस कोचिंग इंस्टीटयूट का 19 विषय में से 11 विषयों का सेलब्स पूरा हो गया बाकी बचे 8 में से 4 विषयों का सेलब्स पूरा हो रहा ही था कि बाकी बचे 4 विषयों का सेलब्स कोरोना काल के कारण लगे लाॅकडाउन की भेंट चढ़ गये।
लेकिन कहतें है ना कि जैसी संगत वैसा फल। रिछपाल ने हमें बताया कि मेरा FMGE परीक्षा पास करना एक संगत का फल है।
मैं जिस कोचिंग इंस्टीटयूट में तैयार करने के लिए गया था वहीं से कोचिंग कर रहे हिमाचल प्रदेश के लक्ष्मीचंद ठाकुर से मेरी मुलाकात हुई रोज की मुलाकात एक दोस्ती में तब्दील हो गई। मैं छात्रावास में रहता था और वह
अपने एक रूम पार्टनर पियूष कुमार सिंह के किराये के कमरे में रहकर और खुश्बू शाह (छात्रावास) उन्ही के साथ तैयारी कर रहे थे। उस अजनबी (लक्ष्मीचंद ठाकुर) से ऐसा लगाव और दोस्ती हुई की मेरी वह मुझे छात्रावास में जाने नहीं देते अपने साथ रहकर तैयारी करने के लिए कहा और मेरे जीवन में वह एक गाॅडफादर की आये। मेरे जैसा छात्र जो पूरी तरह टूट चुका हो आर्थिक और मानसिक तौर पर। जिसकी पढाई निल बट्टा सन्नाटा तक पहुँच चुकी थी । उस टूटे लड़के को हिम्मत दी और उन तीनों ने मोटिवेट किया और उन तीनों कहा हम पास हो या ना हो तुझे गौतम नगर दिल्ली से पास करवाकर भेजेंगे चहा तेरा पूरा खर्चा हमें ही उठाना पड़े और अपनी और उठाया भी। मुझे तीनों ने पढ़ाने शुरू कर दिया इस बीच मै बीमार पड़ गया उन्होंने मेरी एक मां की भांति मेरा ख्याल रखा।
आज जो मैने FMGE की परीक्षा पास करने के पीछे उन तीनों का बहुत सहयोग रहा। मैने सफल होने के लिए हर एक लोगों से जो इस क्षेत्र में थे उनसे गाइडेंस ली। रिछपाल ने हमें बताया कि हमारे फिल्ड के कई छात्र ऐसे है जो पहले प्रयास में असफल होने पर हिम्मत हारकर सुसाइड कर लेते है उन्हें एकबार मेरे जीवन की कहानी जरूर पढनी चाहिए। मेरी कहानी पढने के बाद आप में हौसला और हिम्मत जरूर आ जायेंगी कि यह लड़का इतनी विपदाओं और कठिनाईयों के बावजूद सफल हुआ तो मैं क्यों नहीं। आप सभी छात्रों से मै अपील करता हूँ कि आप कभी हिम्मत मत हारो तब तक संघर्ष करते रहो जब तक लक्ष्य प्राप्ति ना हो जाये। जिन्होंने भी मेरी मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया मुझे गाइड किया उन सभी अध्यापकों, दोस्तों, रिश्तेदारों को धन्यवाद देता हूँ कि आपनें मेरा साथ दिया।
रिछपाल ने हमें बताया कि रोज में एक कविता सुनता था - #तुम_मुझको_कब_तक_रोकोगें
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।
दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं…
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे..
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…
अपनी हद रौशन करने से,
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे
इसके कारण वह विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE- Foreign Medical Graduate Examination) नही दे सकता था। इसका मतलब उसकी MBBS डिग्री कोरे कागज की तरह हो गई थी। इसके लिए 2015 में रिछपाल ने वकील से कानूनी सलाह लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की ताकि इस समस्या से निजात मिल सके। मामला कोर्ट में चल ही रहा था कि इस बीच 2017 में उनके वकील की मौत हो गई। उनके लिए मामला और भी पैंचिदा हो गया।
दिसम्बर 2017 में रिछपाल की शादी हो गई अब की घर की जिम्मेदारियां अलग से। और 2018 आते आते उनकी याचिका खारिज (केस हार गये) हो गई। रिछपाल के साथ उसके माता-पिता को गहरा धक्का लगा की अपने जीवन की पूरी पूँजी बेटे की पढ़ाई पर लगा दी और पढाई के लिए लोगों से लाखों का कर्जा ले रखा था। आप सोचिए उस परिवार की क्या मनोदशा होगी। रिछपाल ने हमें बताया कि उस समय ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई कि परिवार आर्थिक एवं मानसिक तौर पर असंतुलित हो गया। मैं स्वयं अपने आप से गुस्सा होने लगा कि मेरी वजह से मेरे परिवार की यह स्थिति हो गई लेकिन असल में वह मेरी वजह नहीं थी उस एजेंट की पैसों की लालसा ने मेरी और मेरे परिवार की ऐसी हालात कर दी।
रिछपाल ने हमें बताया की एक समय तो सुसाइड तक करने की विचार कर लिया। मै एकदम हार गया था कि आज मेरे पास योग्यता होते हुए भी मैं बेकार पड़ा हूँ!
लेकिन हमनें फिर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका (रिअपील) दाखिल की। आखिर उस संघर्ष की जीत हुई 18 अक्टूबर 2019 को कोर्ट ने फैसला हमारे पक्ष में सुनाया।
मामला पक्ष में आने के बाद सारे दस्तावेज़ों में बदलाव किया गया। उस समय परिवार में एक खुशी का माहौल बना लेकिन वह छात्र जो अपनी पढाई से कोसों दूर चला गया उसका मन और दिमाग सोच रहा था कि मैने तो किताबों की और देखे हुए 6 साल हो गया। मै अपने भीतर ही भीतर सोंच रहा था कि मेरा पढाई का स्तर तो एकदम शून्य है।
इस बीच उन्होंने दिसम्बर 2017 व जून 2018 में FMGE परीक्षा दी थी लेकिन उनके पास एलिजिबल सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण परिणाम को रोक दिया गया था।
वापस अगस्त 2020 में विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) दी लेकिन जरूरी 150अंको के मुकाबले मात्र 78 अंक ही प्राप्त हुए। 04 दिसम्बर 2020 को परीक्षा दी उसमें उनको 77 अंक मिलें रिछपाल ने हमें बताया की इस परीक्षा के 300 प्रश्नों में से मुझे 3 प्रश्नों के उतर ही क्लियर तौर पर आ रहे थे।
हमें बताते हुए कहा कि मेरे 7 सालों की उस मेरी प्रताड़ना के कारण मेरा और किताबों के बीच इतना फासला हो गया कि आप विचार कीजिए जब मैं दिसम्बर 2020 को परीक्षा केन्द्र में बैठा तो मेरे सामने पड़े उस पेपर को देखकर अचंभित रहे गया कि मुझे 300 में से 3 सवालों के जवाब आते है ।
कितना फासला हो गया आप सोचिए जरा रिछपाल का अपनी पढाई से। इसके बाद उस छात्र ने पूरी तरह से उम्मीद और आशा छोड़ दी कि अब मेरा सलेक्शन होगा।
लेकिन अब भी एक उम्मीद जिंदा थी वो थी "माँ" !
रिछपाल की "माँ" ने उसे अपने विश्वास के साथ उम्मीद और हौसला दिया।
"कि बेटा तू पढ़ कोचिंग कर हमें अपनी खेती-बाड़ी भी बेचनी पड़े तो बेचेंगे लेकिन तुझे परिवार का सपना पूरा करना है डाॅक्टर बनकर।
20 फरवरी 2021 को एक उस छात्र के जीवन में नये अध्याय की शुरूआत हुई। कोचिंग करने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हुआ। डाॅ . आशिष सर द्वारा संचालित NLC ( Next learning Centre) गौतम नगर दिल्ली की इस कोचिंग सेन्टर में दाखिला लिया और वहीं किसी छात्रावास में रहने लगा।
जब कोचिंग करने के लिए तब तक उस कोचिंग इंस्टीटयूट का 19 विषय में से 11 विषयों का सेलब्स पूरा हो गया बाकी बचे 8 में से 4 विषयों का सेलब्स पूरा हो रहा ही था कि बाकी बचे 4 विषयों का सेलब्स कोरोना काल के कारण लगे लाॅकडाउन की भेंट चढ़ गये।
लेकिन कहतें है ना कि जैसी संगत वैसा फल। रिछपाल ने हमें बताया कि मेरा FMGE परीक्षा पास करना एक संगत का फल है।
मैं जिस कोचिंग इंस्टीटयूट में तैयार करने के लिए गया था वहीं से कोचिंग कर रहे हिमाचल प्रदेश के लक्ष्मीचंद ठाकुर से मेरी मुलाकात हुई रोज की मुलाकात एक दोस्ती में तब्दील हो गई। मैं छात्रावास में रहता था और वह
अपने एक रूम पार्टनर पियूष कुमार सिंह के किराये के कमरे में रहकर और खुश्बू शाह (छात्रावास) उन्ही के साथ तैयारी कर रहे थे। उस अजनबी (लक्ष्मीचंद ठाकुर) से ऐसा लगाव और दोस्ती हुई की मेरी वह मुझे छात्रावास में जाने नहीं देते अपने साथ रहकर तैयारी करने के लिए कहा और मेरे जीवन में वह एक गाॅडफादर की आये। मेरे जैसा छात्र जो पूरी तरह टूट चुका हो आर्थिक और मानसिक तौर पर। जिसकी पढाई निल बट्टा सन्नाटा तक पहुँच चुकी थी । उस टूटे लड़के को हिम्मत दी और उन तीनों ने मोटिवेट किया और उन तीनों कहा हम पास हो या ना हो तुझे गौतम नगर दिल्ली से पास करवाकर भेजेंगे चहा तेरा पूरा खर्चा हमें ही उठाना पड़े और अपनी और उठाया भी। मुझे तीनों ने पढ़ाने शुरू कर दिया इस बीच मै बीमार पड़ गया उन्होंने मेरी एक मां की भांति मेरा ख्याल रखा।
आज जो मैने FMGE की परीक्षा पास करने के पीछे उन तीनों का बहुत सहयोग रहा। मैने सफल होने के लिए हर एक लोगों से जो इस क्षेत्र में थे उनसे गाइडेंस ली। रिछपाल ने हमें बताया कि हमारे फिल्ड के कई छात्र ऐसे है जो पहले प्रयास में असफल होने पर हिम्मत हारकर सुसाइड कर लेते है उन्हें एकबार मेरे जीवन की कहानी जरूर पढनी चाहिए। मेरी कहानी पढने के बाद आप में हौसला और हिम्मत जरूर आ जायेंगी कि यह लड़का इतनी विपदाओं और कठिनाईयों के बावजूद सफल हुआ तो मैं क्यों नहीं। आप सभी छात्रों से मै अपील करता हूँ कि आप कभी हिम्मत मत हारो तब तक संघर्ष करते रहो जब तक लक्ष्य प्राप्ति ना हो जाये। जिन्होंने भी मेरी मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया मुझे गाइड किया उन सभी अध्यापकों, दोस्तों, रिश्तेदारों को धन्यवाद देता हूँ कि आपनें मेरा साथ दिया।
रिछपाल ने हमें बताया कि रोज में एक कविता सुनता था - #तुम_मुझको_कब_तक_रोकोगें
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।
दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं…
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे..
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…
अपनी हद रौशन करने से,
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे
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