शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

फुटबॉल के गढ़ में क्रिकेट का बोलबाला

 फुटबॉल के गढ़ में क्रिकेट का बोलबाला 


दुनिया में कोई काम असंभव नहीं है!

हौसला और मेहनत की जरूरत है...



फरड़ोद से एक व्यक्ति (मनोज पाटोदिया) तकरीबन 23-24 वर्ष पहले फरड़ोद से 1500 किलोमीटर दूर हैदराबाद में रोजगार के लिए जाते हैं, धीरे-धीरे अपने काम और कारोबार को आगे बढ़ाते हैं और बाद में गांव से अपने परिवार को साथ में लेकर जाते वहीं रहने लगते हैं। हम सभी को पता है गांव से सुदूर शहर (महानगर) में रहकर मैनेज करना कितना मुश्किल भरा होता है। 

उनके घर 30 सितंबर 2012 को जन्म होता है एक चिराग का जिसका नामकरण किया गया नाम रखा गया मयूर, मयूर शर्मा।

जैसे जैसे मयूर बड़ा हुआ तो पिता और परिवार की ख्वाहिश थी की इसे क्रिकेटर ही बनाना है, आगे चलकर मयूर ने परिवार के सपने को उसी दिशा लेकर गया अपने खेल से।

5 वर्ष की उम्र में मयूर को रविन्द्र भारती स्कूल में प्रवेश दिलाया गया और साथ एक क्रिकेट एकेडमी में प्रैक्टिस के लिए हैदराबाद की सिटी क्रिकेट अकादमी में दाखिल किया गया। मयूर के पिता ने हमें बताया कि हम सौभाग्यशाली रहे कि हमें शुरुआत में ही एक अच्छे कोच की कोचिंग मिल गईं, पूर्व रणजी प्लेयर और बीसीसीआई कोच एम. आर. बेग जिनके मार्गदर्शन में वीवीएस लक्ष्मण, रॉबिन उथप्पा वेंकटपति राजू, संजय मांजरेकर, एमएसके प्रसाद और भी बड़े खिलाड़ी उनके कोचिंग में तैयार किये गये। ऐसे बड़े कोच के कोचिंग में मयूर का खेलना अच्छा रहा हमारे लिए।

एम आर बेग सर से लगातार चार साल की कोचिंग की और छोटी सी उम्र में हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से वनडे क्रिकेट मैच खेलना एक बड़ी उपलब्धि रही उसे समय मयूर शर्मा के लिए।

उनके पिता से बात करते हुए मयूर के बारे बताते हुए भावुक हुए की एक समय 2020 में मयूर क्रिकेट खेलते हुए नाक टूट गया जिसका आपरेशन करवाया गया था, उस समय मयूर की क्रिटिकल इंजरी को देखते हुए पिता ने फैसला किया कि ठीक है अब इतना ही अब आगे नहीं बढ़ सकते क्रिकेट को लेकर क्योंकि साथ उस समय कोरोना वायरस की वजह से भी कारोबार में मंदी आ गई, स्कूल फीस, एकडेमी फीस और घर दुकान का किराया, मयूर की क्रिटिकल इंजरी यह सब एक महानगर में रहकर परिवारों को मैनेज करना बेहद मुश्किल हो गया। सबसे बड़ी मयूर की इंजरी से परिवार सहम गया। वक्त का तकाजा देखिये जो पिता मयूर को बड़ा क्रिकेटर बनाने का सपना संजोए सालों से वहीं पिता मंजिल से पहले ही टूट गया।


एक वाक्य मैं अपना व्यक्तिगत बताता हूं कि जब मैं स्वयं मयूर जिस हैदराबाद की क्रिकेट अकादमी में प्रैक्टिस कर रहा था मैं गया उनके पिता के साथ और देख कर आया कि एक पिता के लिए कितना मुश्किल होता बच्चे को 5-6 किलोमीटर दूर एकेडमी में स्कूटी से छोड़ना और वापस लाना सुबह और शाम दोनों समय, हम जब मयूर को स्कूटी से एकेडमी प्रैक्टिस मैदान से शाम लेकर आ रहे थे, तभी मयूर ने बाजार में स्पोर्ट्स दुकान को देकर बोला "पापा ग्लव्स लेने... तभी मनोज ने एकाएक बड़े बाजार के ट्रैफिक में स्कूटी को रोकते हुए स्पोर्ट्स सम्मान की दुकान पर गये और मैं साथ में ही था ... जैसे ही दुकानदार ने ग्लव्स की की कीमत बताई मैं स्तब्ध हो गया सोचने लगा कि ग्लव्स की इतनी किमत है तो पूरे क्रिकेट किट की क्या कीमत होगी और कोचिंग व अकादमी की फीस कितनी होगी...2019 की बात है।


इसके बाद मनोज के परिवार ने इस कठीन समय में उनका साथ दिया और हौसला बढ़ाया, मयूर भी आपरेशन के बाद खेलने के लिए तैयार हो गया, जो पिछले तीन महीनों से क्रिकेट और मैदान से दूर था।

अपने पिता और परिवार से वापस खेलने की बात कि और कहा कि हार जीत और चोट क्रिकेट का हिस्सा है।


उसके बाद महाराष्ट्र विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के साथ खेलना, नीता अंबानी फाउंडेशन क्रिकेट लीग मैच खेलते हुए उस लीग में एक शतक और दो अर्धशतक बनाकर टॉप बल्लेबाज बना।

इसके बाद राजस्थान सीकर की SBS क्रिकेट अकादमी में दाखिला लिया गया जिसकी कोचिंग अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिनेश मोंगिया राजस्थान रणजी प्लेयर सुमित खत्री की देखरेख में पिछले 4 वर्ष है क्रिकेट कोचिंग ले रहे हैं और राजस्थान सीकर से लगातार खेलते आ रहे हैं।

मयूर शर्मा पिछले आठ सालों से निरंतर क्रिकेट जुड़ा हुआ है और एकेडमी में प्रैक्टिस करते हुए खेल रहा।

राजस्थान के अंडर 14 वर्षीय किक्रेट का मुख्य बल्लेबाज होने के बावजूद इस वर्ष राजस्थान टीम का हिस्सा नहीं हो सका कम उम्र की वजह से, शायद अगले अंडर 14 राजस्थान क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए देखा जा सकता है। सीकर एकडेमी की अंडर 14 वर्षीय टीम की कप्तान है। मात्र 12 वर्ष की उम्र अबतक 5 शतक 25 अर्धशतक 40 की औसत के साथ 4000 रन और 100 से ऊपर विकेट चटका चूके।

हाल ही में बीकानेर में खेली गई अंडर 16 वर्षीय किक्रेट टूर्नामेंट में सीकर टीम से भाग लिया और फाइनल खिताब अपने नाम किया। इस प्रतियोगिता में सेमीफाइनल में मयूर ने अपने ऑलराउंडर खेल की बदौलत मैच जिताया।  सेमीफाइनल में एक समय सीकर टीम मुश्किल में थी उस समय मयूर निचले क्रम के बल्लेबाज के साथ मिलकर नाबाद 40 रनों की महत्वपूर्ण और मैच जिताऊ पारी खेली और साथ दो विकेट चटकाए। प्रतियोगिता में 100रन और 13 विकेट लिए जो एक शानदार ऑल राउंड प्रदर्शन रहा।


आपकी मेहनत और आपके परिवार के संघर्ष को सलाम्।


इनकी मेहनत और इनके परिवार का संघर्ष अभी निरंतर जारी है..........!

✍️ नवरतन मेघवाल (NRC)

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